Friday 28 December 2018

मुझे तुम अपनी आँखों में बसा लो, ख़्वाब इतना है,
मुझे तुम अपने ख़्वाबों में सजा लो, ख़्वाब इतना है.

बड़ी मुद्द्तसे सन्नाटे में ही सोने की आदत है,
मगर तुम अपनी आहट से जगा लो, ख़्वाब इतना है.

अगर देखो कहीं तो सिर्फ बस मेरी तरफ देखो! 
जमाने भर से तुम नजरें हटा लो, ख़्वाब इतना है.

मेरी बांहों में बांहें डाल कर कुछ़ देर तो बैठो!
करीब आ जाओ, सीने से लगा लो, ख़्वाब इतना है.

मैं चाहत के हुनर दो-चार अपने साथ लाया हूं,
अगर चाहो तो मुझको आज़मा लो, ख़्वाब इतना है.

सितारें तोड़ कर तेरे लिये ला सक्ता हूं लेकिन,
मेरे संग चांद पर तुम घर बसा लो, ख़्वाब इतना है.

: हिमल पंड्या

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