Friday 28 December 2018

जो हुआ - है तेरे भले के लिए,
एक मौका है सोचने के लिए

बस, ये तासीर है जमाने की,
सब मज़ा लेते है मज़े के लिए

ज़ख्म को ढंक ले मुस्कुराहट से,
वो फिर आएंगे देखने के लिए

दूर जाना है? दूर जा, लेकिन-
वक़्त इतना है भागने के लिए? 

तेरे हक़ में नहीं वो आएगा,
क्यूं रुका है तू फैंसले के लिए?

दिल से कब तक लगाए बैठ़ेगा?
भूल होती है भूलने के लिए.

: हिमल पंड्या 

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