छोड़ी मुकयो जो एने, जेणे तने न छोड़ी!
थइ आबरू नी किंमत अहियां फरीथी कोड़ी!
कहेवाय छे के देवी छे अंध न्यायनी पण,
लागे छे आज एणे जाते ज आँख फोड़ी!
केवी आ कार्यवाही, कइ जातनो चुकादो?
इंसानियतनी आ ते केवी दशा कफोडी!
छो ने हतो अधम ए, पण पुख्त ना गणायो,
लीधो बचावी एने, सहु कायदा मरोड़ी!
ओ निर्भया! नथी दुःख तारा गयानुं आजे,
जोइने आ तमाशो जीवी शकत तुं थोड़ी?
छे खिन्न देश आखो, आथी वधु करे शुं?
याचे क्षमा ए तारी, बस आज हाथ जोड़ी!
अंधेर तो नथी ने दरबारमां तमारा?
तो ईश न्याय करजो, होये दया जो थोड़ी!
: हिमल पंड्या
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