आम तो एवु कशुं कारण हतुं नही,
मन ऊपर कंई एटलुं भारण हतुं नही;
जिंदगी फुलवाड़ी सम जिव्यो हतो ए,
जिवतर एनुं ज़रा ये रण हतुं नही;
भीतरे अवसर घणां उजवाया तो ये,
बारणे एना भले तोरण हतुं नही;
आम जुओ तो सतत साथे रह्या ने,
आम जुओ तो कशुं सगपण हतुं नही;
रेलना पाटा समी बे जिंदगीओ,
एकबीजानुं छतां वळगण हतुं नही;
खुदने ओळखवामां ए पाछो पड़ेलो!
केम के एना घरे दर्पण हतुं नही;
मोत एणे एटले व्हालुं कर्यु'तुं;
जिंदगीनुं तो बीजुं मारण हतुं नही!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
मन ऊपर कंई एटलुं भारण हतुं नही;
जिंदगी फुलवाड़ी सम जिव्यो हतो ए,
जिवतर एनुं ज़रा ये रण हतुं नही;
भीतरे अवसर घणां उजवाया तो ये,
बारणे एना भले तोरण हतुं नही;
आम जुओ तो सतत साथे रह्या ने,
आम जुओ तो कशुं सगपण हतुं नही;
रेलना पाटा समी बे जिंदगीओ,
एकबीजानुं छतां वळगण हतुं नही;
खुदने ओळखवामां ए पाछो पड़ेलो!
केम के एना घरे दर्पण हतुं नही;
मोत एणे एटले व्हालुं कर्यु'तुं;
जिंदगीनुं तो बीजुं मारण हतुं नही!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
No comments:
Post a Comment