जे थवानु ए थवानुं होय छे,
आटलु जाणी जवानुं होय छे;
रंज एनो क्या? तरस छिपी नही,
दुःख मळेला झांझवानुं होय छे;
आंसुओ ने आवता रोकी शको!
बस, स्मरण ने आंजवानुं होय छे;
आ बधी चर्चा करी शुं पामशु?
ए कहे ए मानवानुं होय छे.
आ सफरमां ख़ास बीजु कै नथी;
जीववानु ने जवानुं होय छे!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
आटलु जाणी जवानुं होय छे;
रंज एनो क्या? तरस छिपी नही,
दुःख मळेला झांझवानुं होय छे;
आंसुओ ने आवता रोकी शको!
बस, स्मरण ने आंजवानुं होय छे;
आ बधी चर्चा करी शुं पामशु?
ए कहे ए मानवानुं होय छे.
आ सफरमां ख़ास बीजु कै नथी;
जीववानु ने जवानुं होय छे!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
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