लाख तूं कोशिश करे पण हा, ए रावण नही मरे!
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
कै युगोथी घर करी बेठो छे ए मस्तिष्कमां,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
बानमां लइने फरे छे आखा ये अस्तित्वने,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
क्रोध हो के लोभ, सत्तानो हो मद के वासना;
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
पीड़वानी वृत्तिनो गुलाम थइ चुक्यो छे जे,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
आँखमां छे झेर, होठो पर टपकतुं तो य मध,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
छो ने सळगावो परंतु राखथी बेठो थशे,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
कै युगोथी घर करी बेठो छे ए मस्तिष्कमां,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
बानमां लइने फरे छे आखा ये अस्तित्वने,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
क्रोध हो के लोभ, सत्तानो हो मद के वासना;
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
पीड़वानी वृत्तिनो गुलाम थइ चुक्यो छे जे,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
आँखमां छे झेर, होठो पर टपकतुं तो य मध,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
छो ने सळगावो परंतु राखथी बेठो थशे,
ना, ए रावण नही मरे! हा, ए रावण नही मरे!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
No comments:
Post a Comment