इस लिए रोज दिल उदास रहा,
तेरा हो के भी मेरे पास रहा;
..
मुद्दतों बाद फिर से महका हूँ,
तेरा चेहरा जो आसपास रहा!
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जब से तुमने गले लगाया है,
मुज को हर एक गम है रास रहा;
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बस यही है गुमां, ज़माने में,
कोई अपना सा रहा, ख़ास रहा;
..
तेरी यादों को पहन कर देखा,
फिर तो वो रोज का लिबास रहा.
..
: हिमल पंड्या "पार्थ"
तेरा हो के भी मेरे पास रहा;
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मुद्दतों बाद फिर से महका हूँ,
तेरा चेहरा जो आसपास रहा!
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जब से तुमने गले लगाया है,
मुज को हर एक गम है रास रहा;
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बस यही है गुमां, ज़माने में,
कोई अपना सा रहा, ख़ास रहा;
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तेरी यादों को पहन कर देखा,
फिर तो वो रोज का लिबास रहा.
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: हिमल पंड्या "पार्थ"
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