Saturday 9 April 2016

इस लिए रोज दिल उदास रहा,
तेरा हो के भी मेरे पास रहा;
 .. 
मुद्दतों बाद फिर से महका हूँ,
तेरा चेहरा जो आसपास रहा!
 .. 
जब से तुमने गले लगाया है,
मुज को हर एक गम है रास रहा;
 .. 
बस यही है गुमां, ज़माने में,
कोई अपना सा रहा, ख़ास रहा;
 ..
तेरी यादों को पहन कर देखा,
फिर तो वो रोज का लिबास रहा.
 ..
: हिमल पंड्या "पार्थ"

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