जिसे मैं ढूंढता था वो मेरा पता निकला!
ये रास्ता तो मेरे घर का रास्ता निकला!
दुआ में एक दिन माँगा था एक हंसी हमदम,
खुदा की खैर हुई, तुम से वास्ता निकला!
जिन्हें मैं ख्वाब में बरसो छुपाये बैठा था,
निगाहें उन की जो पड़ी तो राब्ता निकला!
जो मुज को ढूंढने निकले थे यार-दोस्त मेरे,
जरा सा पूछ लो कि कुछ अता पता निकला?!
जहां भी हूं मैं, खैरियत से हूं, मजे में हूं;
तलाश ख़त्म करो, लिख दो लापता निकला!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
ये रास्ता तो मेरे घर का रास्ता निकला!
दुआ में एक दिन माँगा था एक हंसी हमदम,
खुदा की खैर हुई, तुम से वास्ता निकला!
जिन्हें मैं ख्वाब में बरसो छुपाये बैठा था,
निगाहें उन की जो पड़ी तो राब्ता निकला!
जो मुज को ढूंढने निकले थे यार-दोस्त मेरे,
जरा सा पूछ लो कि कुछ अता पता निकला?!
जहां भी हूं मैं, खैरियत से हूं, मजे में हूं;
तलाश ख़त्म करो, लिख दो लापता निकला!
: हिमल पंड्या "पार्थ"
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