Tuesday 25 October 2016

वहां जाने का तुम कोइ न कोइ रासता रखना!
बिछड़ कर जा रहे है आज, उन का भी पता रखना!

उदासीयों के बढने पर वो रिश्तें काम आते है;
पुराने दोसतों से तुम हंमेशा वासता रखना!

जो अच्छा वक्त है वो खैर अच्छा ही करेगा पर;
बुरा जो दौर है उस से भी थोडा राबता रखना!

अगर वो ख्वाब में दिख जाए तो तुम सामने जा कर,
'तेरी उम्मीद पर ही आज जिन्दा हूं' - जता रखना!

कुबूल होती है मर कर भी दुअाएं नेत लोगों की;
जहां तक हो सके, खुद को यहां तुम बे-खता रखना!

: हिमल पंड्या
  १७-९-२०१६

No comments:

Post a Comment