जीने की कोशिश मे जीना आ जाता है,
लेकिन फिर भी यार पसीना आ जाता है;
तकदीरों का ताला खोल न पाता कोइ,
कुछ भी कर लो, वक्त कमीना आ जाता है;
मयखाने का रस्ता चाहे अनजाना हो!
दर्द भूलाने नीकलो, पीना आ जाता है;
अपने बारे में अपनों की बातें सुन कर,
अपने होठों को भी सीना आ जाता है;
मैंने माँ के कदमो में सर रक्खा अपना,
उस में मक्का और मदीना आ जाता है;
: हिमल पंड्या
२०-८-२०१६
तकदीरों का ताला खोल न पाता कोइ,
कुछ भी कर लो, वक्त कमीना आ जाता है;
मयखाने का रस्ता चाहे अनजाना हो!
दर्द भूलाने नीकलो, पीना आ जाता है;
अपने बारे में अपनों की बातें सुन कर,
अपने होठों को भी सीना आ जाता है;
मैंने माँ के कदमो में सर रक्खा अपना,
उस में मक्का और मदीना आ जाता है;
: हिमल पंड्या
२०-८-२०१६
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