Saturday 10 September 2016

मुझे तुम अपनी आँखों में बसा लो, ख्वाब इतना है,
मुझे तुम अपने ख़्वाबों में सजा लो, ख्वाब इतना है;

बड़ी मुद्द्तसे सन्नाटे में ही सोने की आदत है,
मगर तुम अपनी आहट से जगा लो, ख्वाब इतना है;


अगर देखो कहीं तो सिर्फ बस मेरी तरफ देखो! 
जमाने भर से तुम नजरे हटा लो, ख्वाब इतना है;

मेरी बांहों में बांहें डाल कर कुछ देर तो बैठो!
करीब आ जाओ, सीने से लगा लो, ख्वाब इतना है;

मैं चाहत के हुनर दो-चार अपने साथ लाया हूं,
अगर चाहो तो मुज को आजमा लो, ख्वाब इतना है;

सितारे तोड़ कर तेरे लिये ला सक्ता हूं लेकिन,
मेरे संग चांद पर तुम घर बसा लो, ख्वाब इतना है.

: हिमल पंड्या 

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