एक गहरी सी उदासी के सिवा कुछ भी नही,
रात की काली सियाही के सिवा कुछ भी नही;
जिन्दगी जैसे सरेआम गिरा इक पर्दा!
और बजती हुइ ताली के सिवा कुछ भी नही;
जिक्र जिस का मैं सुना करता था माँ से अक्सर,
तूं भी परीयों की वो रानी के सिवा कुछ भी नही;
अपने हिस्से के तब-ओ-ताब भी गर देखो तो,
एक हारी हुइ बाजी के सिवा कुछ भी नही;
वक्त आने पे तुजे भी वो खुदा याद आया!
खैर, हम भी तो नमाजी के सिवा कुछ भी नही;
मांगता रहता है हर वक्त हर चेहरे पे हंसी,
दिल मेरा एक सवाली के सिवा कुछ भी नही;
अच्छा लगता है तुम ख्वाबों की बात करते हो!
अपनी आंखो में तो पानी के सिवा कुछ भी नही;
कुछ ये अशआर मेरे पास है, इन्हें रख लो!
आखरी इतनी निशानी के सिवा कुछ भी नही;
: हिमल पंड्या
२८-८-२०१६
रात की काली सियाही के सिवा कुछ भी नही;
जिन्दगी जैसे सरेआम गिरा इक पर्दा!
और बजती हुइ ताली के सिवा कुछ भी नही;
जिक्र जिस का मैं सुना करता था माँ से अक्सर,
तूं भी परीयों की वो रानी के सिवा कुछ भी नही;
अपने हिस्से के तब-ओ-ताब भी गर देखो तो,
एक हारी हुइ बाजी के सिवा कुछ भी नही;
वक्त आने पे तुजे भी वो खुदा याद आया!
खैर, हम भी तो नमाजी के सिवा कुछ भी नही;
मांगता रहता है हर वक्त हर चेहरे पे हंसी,
दिल मेरा एक सवाली के सिवा कुछ भी नही;
अच्छा लगता है तुम ख्वाबों की बात करते हो!
अपनी आंखो में तो पानी के सिवा कुछ भी नही;
कुछ ये अशआर मेरे पास है, इन्हें रख लो!
आखरी इतनी निशानी के सिवा कुछ भी नही;
: हिमल पंड्या
२८-८-२०१६
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