यूं लगा जैसे पल में बीत गइ,
जिन्दगी आजकल में बीत गइ.
यूं ही चहलो पहल में बीत गइ,
या किसीकी नकल में बीत गइ.
कभी कबार वहम में गुज़री,
कभी धोखे में, छल में बीत गइ.
चैन से यूँ तो बसर हो जाती!
दिल, तुम्हारी दखल में बीत गइ.
देर से नींद खुली तो देखा,
उम्र अपनी असल में बीत गइ.
: हिमल पंड्या
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