Thursday 19 April 2018

बात जो दिल में थी वो बता ना सके,
था बहोत कुछ जिसे हम जता ना सके;

अब ये आलम है, तन्हा है कुछ इस कदर,
नींद आ जाती है, ख्वाब आ ना सके!

दिल ने दिल से किये थे तो वादे बहोत,
बस ये गम है उन्हें हम निभा ना सके;

कुछ न तुम छोड़ पाये अपनी वो जिद्द,
और कुछ हम तेरे पास आ ना सके!

कल अचानक जो यूँ सामने आ गये;
क्या हुआ क्यूँ नजर हम मिला ना सके?

कौन शिकवा करे और किसे दोष दे?
भूल जाये वो सब जो भुला ना सके!

: हिमल पंड्या

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