बात जो दिल में थी वो बता ना सके,
था बहोत कुछ जिसे हम जता ना सके;
अब ये आलम है, तन्हा है कुछ इस कदर,
नींद आ जाती है, ख्वाब आ ना सके!
दिल ने दिल से किये थे तो वादे बहोत,
बस ये गम है उन्हें हम निभा ना सके;
कुछ न तुम छोड़ पाये अपनी वो जिद्द,
और कुछ हम तेरे पास आ ना सके!
कल अचानक जो यूँ सामने आ गये;
क्या हुआ क्यूँ नजर हम मिला ना सके?
कौन शिकवा करे और किसे दोष दे?
भूल जाये वो सब जो भुला ना सके!
: हिमल पंड्या
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