रात को जो निगल गया होगा,
शाम होते ही ढल गया होगा!
उम्रभर की जो बात करता था,
एक पल में बदल गया होगा!
सामने देख, मोड़ दिखता है?
वो वहां से निकल गया होगा!
डांट लो अब दिमाग को थोड़ा,
दिल तो कब का संभल गया होगा!
मेरे नालों को सुन के मेरा खुदा,
मोम होगा, पिघल गया होगा!
जिंदगी! तुज पे प्यार आया है,
कोइ जादू-सा चल गया होगा?!
शायरी ने हमें मसरूफ़ रक़्खा,
मौत का वक्त टल गया होगा!
: हिमल पंड्या
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